उपन्यास >> पीला गुलाब पीला गुलाबसुरेन्द्र मोहन पाठक
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सुनील सीरीज का अत्यन्त रोचक उपन्यास
सुनील सीरीज का 85वां उपन्यास 'पीला गुलाब' आपके हाथों में है।
"सोमानी साहब।' सुनील बोला-"कितना अच्छा हो अगर आप कहानी को टी०वी० सीरियल की तरह पेश करने की जगह एक ही बार में मुझे सब कह सुनायें।"
"उसके बिना"-सोमानी बोला—“पीछा नहीं छोड़ोगे मेरा?"
"पीछा तो आप मुझसे चुटकियों में छुड़ा सकते हैं लेकिन ऐसा करते वक्त एक बात ध्यान में रखियेगा कि ऐसा कभी हुआ नहीं कि बन्दे ने एक बार जो बात जान लेने की ठान ली हो, वह बन्दा जाने बिना रहा हो। बुरे के .घर तक पहुंचकर दिखाना मेरी बड़ी अहम क्वालीफिकेशन है। आप सहयोग नहीं देंगे तो सिर्फ इतना फर्क पड़ेगा कि फिर अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिये मुझे जरा लम्बा रूट अख्तियार करना पड़ेगा। अब फैसला आपके हाथ में है कि आप मुझे लम्बे रूट पर भेजना चाहते हैं या शार्टकट दिखाते हैं।"
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